ज़िन्दगी की राहें जुदा सी हो गयीं,
तू वहां रह गया मैं यहाँ खो गयी,
पलट के देख न सकी मैं तुझको,
और तू समझा मैं बेवफा हो गयी,
ऐतबार होता तो आते मेरे गरीबखाने में,
कुछ अपनी कहते
कुछ मेरी सुनते करीने से,
पर तुझे ज़माने की कद्र है मेरी नहीं,
इस बात का एहसास मुझे है
लेकिन तुझे नहीं,
मैं समझती हूँ रिश्ते निभाने के लिए
होती है ज़रूरत सलीके की,
और तू सोचता है
रिश्ते निभाने ज़रूरत ही नहीं,
कितना फर्क है
तेरी और मेरी सोच के बीच,
इसलिए तो शायद
कोई ताल्लुक न रह गया हम दोनों के बीच,
फिर भी तू खुश है
तो मेरे लिए इतना ही है काफी,
खुदा हर ख़ुशी से नवाजे तुझे
यही दुआ है मेरी...
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