रात का चाँद बहुत ही ख़ास लगा,
तू दूर था फिर भी आस-पास लगा,
तेरी मौजूदगी के अहसास से मिट गयीं मेरी तन्हाईयाँ,
इस बात का तुझे अहसास हो ऐसे मेरी किस्मत कहाँ,
रातभर तुझे मैं सोचती रही मुसलसल,
तू नींद के आगोश में करवटें बदलता रहा मुसलसल,
तेरी याद से मेरी आँखें हुई थी नम,
तेरे अहसास से खुशनुमा हुआ था मेरा मन,
तेरी फ़िक्र करती हूँ मैं हर कदम,
पर फर्क तुझे कहाँ पड़ता है मेरे हमदम,
मेरी सोच का दायरा तो बस तुझसे शुरू और तुझी पे ख़त्म,
लेकिन ये अहसास है मुझसे भी आगे तेरे लिए एक ज़माना है हमदम....
तू दूर था फिर भी आस-पास लगा,
तेरी मौजूदगी के अहसास से मिट गयीं मेरी तन्हाईयाँ,
इस बात का तुझे अहसास हो ऐसे मेरी किस्मत कहाँ,
रातभर तुझे मैं सोचती रही मुसलसल,
तू नींद के आगोश में करवटें बदलता रहा मुसलसल,
तेरी याद से मेरी आँखें हुई थी नम,
तेरे अहसास से खुशनुमा हुआ था मेरा मन,
तेरी फ़िक्र करती हूँ मैं हर कदम,
पर फर्क तुझे कहाँ पड़ता है मेरे हमदम,
मेरी सोच का दायरा तो बस तुझसे शुरू और तुझी पे ख़त्म,
लेकिन ये अहसास है मुझसे भी आगे तेरे लिए एक ज़माना है हमदम....
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