हम ने ऐतबार उन पे कुछ ज्यादा किया,
दिल तब भी बेकरार था दिल आज भी बेताब है,
तुने इस दिल को शर्मसार इतना ज्यादा किया,
वक्त की आंधी ने हमें कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया,
पलट के भी न देखा इस कदर दिल को बहला लिया,
अब के जो बिछड़े तो फिर कभी न मिल सकेंगे,
ज़िन्दगी में मुसाफिर हैं अपनी अपनी राह चल देंगे,
आओ के इस तरह से जुदा हो सकें हम,
पिछले सारे रंज-ओ-गम को भुला सकें हम,
आओ के इस वस्ल को इतना हसीं बनायें,
हर गम इस के सामने अदना सा हो जाये,
न हो कोई मलाल न हो कोई शिकवा,
इस पहचाने हुए रिश्ते को इस तरह अनजान बनाये....
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